Page copy protected against web site content infringement by Copyscape

Monday, April 30, 2012

जाट मरा तब जानिये जब तेरहवी हो जाए

फ़िल्म : अभय
किस सन में रिलीज़ हुई : 2001
किसने कहा : अभय कुमार (कमल हासन)
किससे कहा : ख़ुद से
सम्वाद लेखक : जावेद अख़्तर

विजय अपनी मंगेतर तेजस्विनी के साथ अपने जुडवां भाई अभय को देखने पागल ख़ाने जाता है. अभय उन पर हमला कर देता है और क़ाबू से बाहर हो जाता है. डॉक्टर उसको क़ाबू करके इंजेक्शन लगाते हैं. क़ाबू में आने से पहले अभय ये कविता सुनाता है. फ़िल्म के सम्वाद तो अमिताभ श्रीवास्तव नें लिखे हैं, पर कवितायें और गीत जावेद अख़्तर के हैं. इसका आख़री मिस्रा एक मशहूर कहावत है.

पानी पर पत्थर पडे तो उसमें लहर बन जाये
आग बुझाने चले हवा और उसको भडकाये
शत्रु, सांप कि राक्षस, ऐसे ना मिट पाये
जाट मरा तब जानिये जब तेरहवी हो जाये

कमल हासन साहब अपनी फ़िल्मों में प्रयोगधर्मिता के मेआर पर ऊंचाईयों को हासिल करते रहते हैं. अप्पू राजा में एक भाई आम ऊंचाई का था और एक बौना. हिन्दुस्तानी में एक जवान बेटा था और एक अधेड उम्र का बूढा. चिकनी चाची (या चाची 420) में एक मध्यम उमर की औरत थी और एक जवान आदमी. और वो इक्लौते बडे सितारे हैं हिन्दुस्तान के, जिनके इन किरदारों में विश्वसनीयता होती है. ऐसा नहीं कि एक नक़ली दाढी और मूछ लगा कर दोहरी भूमिका निभा रहे हैं. दशावतारम में तो उन्होंने हद ही कर दी. दस किरदार निभाये. बूढी औरत से लेकर, अमरीकी राष्ट्रपति से लेकर, दलेर मेह्न्दी तक. 

ख़ैर इस फ़िल्म में एक भाई आम डील डौल का था (आर्मी के किसी आम अफ़सर जैसा) और दूसरा भाई गजिनी के आमिर जैसा. सुडौल और सधी हुई मांसपेशियों वाला. यह फ़िल्म तमिय़ में भी आळवन्दान (ஆளவந்தான்) के नाम से  रिलीज़ हुई थी. 

No comments: