फ़िल्म : चक दे इंडिया
किस सन में रिलीज़ हुई : 2007
किसने कहा : त्रिपाठी (अंजन श्रीवास्तव)
किससे कहा : कबीर ख़ान (शाहरुख़ ख़ान)
सम्वाद लेखक : जयदीप साहनी
किस सन में रिलीज़ हुई : 2007
किसने कहा : त्रिपाठी (अंजन श्रीवास्तव)
किससे कहा : कबीर ख़ान (शाहरुख़ ख़ान)
सम्वाद लेखक : जयदीप साहनी
इसमे एक दृश्य है जिसमें कबीर ख़ान (जो महिलाओं की हॉकी टीम के कोच हैं) तो हॉकी फ़ेडरेशन को अपनी टीम का मर्दों की हॉकी टीम से मुक़ाबला करवाने की चुनौती देते हैं. इसकी पृष्ठभूमि ये है कि फ़ेडरेशन नें उनके अथक परिश्रम को नज़रअन्दाज़ करते हुए ये फ़ैसला किया हुआ है कि धन की कमी की वजह से विश्व कप में सिर्फ़ एक ही टीम जायेगी - और ज़ाहिर है वो मर्दों की टीम होगी.
थक हार कर कबीर पुरुषों की टीम के साथ खेलने की ये चुनौती पेश करते हैं. इस पर हॉकी फ़ेडरेशन के सदस्य त्रिपाठी (अंजन श्रीवास्तव) तंज़िया अन्दाज़ में कहते हैं
"पाण्डवों वाली शर्त मत लगाइये - चीर हरण न हो जाये"
थक हार कर कबीर पुरुषों की टीम के साथ खेलने की ये चुनौती पेश करते हैं. इस पर हॉकी फ़ेडरेशन के सदस्य त्रिपाठी (अंजन श्रीवास्तव) तंज़िया अन्दाज़ में कहते हैं
"पाण्डवों वाली शर्त मत लगाइये - चीर हरण न हो जाये"
कबीर अपनी पांडवों वाली शर्त जीतते हैं या हारते हैं, ये जानने के लिए आपको फ़िल्म देखनी होगी. और अगर आप देख चुके हैं तो आप जानते ही होंगे. बहरहाल अगर आप किसी को कभी इस परिस्थिति में देखें कि उसका हारना तय हो, तो आप इस जुमले का इस्तेमाल कर सकते हैं -
पाण्डवों वाली शर्त मत लगाइये
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