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Monday, August 11, 2008

मेरी समझ में ये नहीं आता की तुम कमीने ज़्यादा हो, या बेवक़ूफ़

फ़िल्म : दुनिया
किस सन में रिलीज़ हुयी : 1984
किसने कहा : मोहन कुमार (दिलीप कुमार)
किससे कहा : बलवंत (अमरीश पुरी)
सम्वाद लेखक : जावेद अख़्तर

ये एक इमानदार आदमी के बदले की दास्ताँ है। मोहन - जो इस फ़िल्म के हीरो है - बलवंत के घर में घुस कर उस का इंतज़ार करता है। बलवंत उसे देख कर पहले तो सकपका जाता है - फिर किसी तरह अपनी पिस्तौल निकालने में कामयाब हो जाता है। मोहन बड़ी हिकारत से उस की तरफ़ देखता है और छः गोलियाँ भी दिखाता है। उसका आशय है की उसने गोलियाँ पहले से ही निकाल ली है। मगर वो बलवंत को यही बात बहुत दिलचस्प तरीके से कहता है

मेरी समझ में ये नहीं आता की तुम कमीने ज़्यादा हो, या बेवक़ूफ़

बलवंत इस जुमले के जाल में फँस जाता है और पिस्तौल गिरा देता है। वही पिस्तौल मोहन उठा लेता है। एक कहावत है मशहूर की ये ज़रूरी नहीं है की आप क्या कह रहे हैं, ज़रूरी यह है की आप कैसे कह रहे हैं। इस बात का जीता जागता सबूत है यह जुमला। इसी फ़िल्म के और दिलचस्प जुमले पढने के लिए नीचे के लिंक पर क्लिक करें

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