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Sunday, July 17, 2011

कौन कमबख़्त कहता है, कि हिटलर मर गया

फ़िल्म : गोलमाल
किस सन में रिलीज़ हुई :  1979
किसने कहा : राम प्रसाद (अमोल पालेकर)
किससे कहा : डॉक्टर मामा (डेविड)
सम्वाद लेखक : गुलज़ार

इस फ़िल्म की कहानी कौन नहीं जानता. अपने उसूलों पर जुनून की हद तक क़ायम रहने वाले दोस्त के गुनों का बखान करते हैं डॉक्टर साहब. ताकि उनका भांजा उनके दोस्त की कम्पनी में होने वाले इंटरव्यू के लिए तैयार हो सके. मसलन, कपडे कैसे पहनने हैं, बाते कैसे करनी हैं, क्या कहना है, क्या नहीं कहना है वग़ैरह वग़ैरह. ये सब सुन कर राम को यक़ीन हो जाता है कि जिस मुलाज़िम की तलाश में भवानी शंकर (यानी अपने उसूलों पर अडने वाले दोस्त) हैं, वो मुलाज़िम वो तो हरगिज़ नहीं है. पर जाते जाते डॉक्टर मामा एक और आघात कर जाते हैं, जिससे राम के सब्र का बान्ध टूट जाता है. वो कहते हैं, 

"सर पर तेल भी अच्छी तरह से चुपड लेना"

बस राम से रहा नहीं जाता, बडे गम्भीर लहजे में कॅमरे की तरफ़ देखता है, और कहता है,

"कौन कम्बख़्त कह्ता है, कि हिटलर मर गया"

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