फ़िल्म : कम्पनी
किस सन में रिलीज़ हुई : 2002
किसने कहा : श्रीनिवासन (मोहनलाल)
किससे कहा : मल्लिक (अजय देवगन)
सम्वाद लेखक : जयदीप साहनी
इस सम्वाद की ख़ासियत है, इसकी अदायगी. मोहनलाल ने एक दक्षिण भारतीय किरदार अदा करते हुए, उसकी बारीकियों को पकडा है. मेरी बात का पूरा मतलब समझने के लिए आपको ये फ़िल्म देखनी पडेगी. पर फ़िलहाल बात करते हैं इस सिचुएशन की.
मल्लिक के पुराने साथी और बाद में धुर विरोधी रहे चन्दू नागरे (विवेक ओबरॉय) ने पुलिस के सामने आत्म समर्पण कर दिया है. वो पुलिस को सहयोग देने के लिए भी राज़ी हो गया है. इस घटना के बाद श्रीनिवासन फ़ोन पर मल्लिक से बात करते हैं. उसको बताते हैं कि चन्दू अब अप्रूवर हो गया है और मल्लिक की भलाई भी इसी में होगी कि वो भी आत्म समर्पण कर दे. पर मल्लिक बडे नाज़ से जवाब देता है, कहता है
"श्रीनिवासन साहब, मैं चन्दू नहीं हूं"
इस जुमले का शाब्दिक अर्थ तो सीधा सादा है. पर उसके नीचे की परतों के मानी को देखें तो, मल्लिक ये कह रहा है कि वो चन्दू जितना कमज़ोर नहीं है. उसमें अब भी बहुत दम है पुलिस को चकमा देने का, उनका प्रतिरोध करने का. और इस लम्बी तक़रीर को छोटे मे बयान करने के लिए इन चार लफ़्ज़ों का सहारा लेता है मल्लिक.
ये बातचीत जारी रहती है, आगे किसी मोड पर, मल्लिक श्रीनिवासन को ताने देता है कि सरकारी नौकरी में उसको बहुत कम पैसे मिलते हैं, और वो अगर मल्लिक से हाथ मिला ले तो पांचों उंगलियां घी में और सर कडाही में होगा. और किस अन्दाज़ से जवाब देता है श्रीनिवासन इस पेशकश का
"मल्लिक, मे बी चन्दू नई हूं"
हालांकि इस सम्वाद का सही स्वरूप "मल्लिक, मैं भी चन्दू नहीं हूं" होना चाहिये, पर श्रीनिवासन मलयाळी हैं, और उस लहजे में बोलते हैं. और मैं उस लहजे का ही मुरीद हूं.
तो आइन्दा अगर आपको कोई कम आंकने की ग़लती करे, और आप उसे जताना चाहें कि आप में बहुत दम है, तो इस मुकालमे का इस्तेमाल करें.
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