फ़िल्म : शोले
किस सन में रिलीज़ हुई : 1975
किसने कहा : जयदेव (अमिताभ बच्चन)
किससे कहा : जेलर (असरानी)
सम्वाद लेखक : सलीम जावेद
इस फ़िल्म के बहुत से सम्वाद प्रचलित हैं और लोकप्रिय हैं. पर ये सम्वाद कम याद किया जाता है. हालांकि ये सम्वाद है बहुत सशक्त. काम काजी ज़िन्दगी में अक्सर ऐसे बॉस लोगों से पाला पडता है जो घडी घडी अपना फ़ैसला बदलते रहते हैं. उन सब को ये जुमला समर्पित है.
जय और वीरू जेल से भागने का प्लान बनाते हैं. वो एक लकडी के टुकडे को पिस्तौल बता कर, जेलर को बन्धक बना लेते हैं. बन्धक बनाते ही वीरू जेलर को अपनी जगह से ना हिलने की सख़्त हिदायत देता है. फिर बाक़ी सिपाहियों की बन्दूकें फिंकवा देने के बाद, वीरू जेलर को अपने साथ जेल के मुख्य द्वार तक चलने के लिए कहता है.
जेलर ज़रा लक़ीर का फ़क़ीर क़िस्म का जेलर है. अंग्रेज़ों के ज़माने का जो है. तो वो आपत्ति ज़ाहिर करता है. कहता है कि आप ही ने तो हिलने से मना किया था. सख़्त हिदायत दी थी. परेशान जय अपने चिर परिचित अन्दाज़ में ये जुमला कहते हैं.
"पहला ऑर्डर कॅंसल"
तब जाकर जेलर को तसल्ली होती है और वो दोनों क़ैदियों को बाहर तक छोड कर आता है.
1 comment:
काफी गहरी जानकारी है आपकी फिल्मों के बारे में
इसे चिराग क्यों कहते हो?
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