फ़िल्म : दीवार
किस सन में रिलीज़ हुई : 1975
किसने कहा : विजय वर्मा (अमिताभ बच्चन)
किससे कहा : सामंत (मदन पुरी)
सम्वाद लेखक : सलीम जावेद
किस सन में रिलीज़ हुई : 1975
किसने कहा : विजय वर्मा (अमिताभ बच्चन)
किससे कहा : सामंत (मदन पुरी)
सम्वाद लेखक : सलीम जावेद
विजय वर्मा दावर के गिरोह में शामिल हो जाता है। दावर अपने एक विरोधी तस्कर सामंत से बेहद परेशान हैं। सामंत एक बेहद तेज़ तर्रार तस्कर है जो दावर के माल को चंपत कर जाता था। यानी भंवरे ने खिलाया फूल फूल को ले गया राज कुंवर।
विजय, सामंत की इसी ताक़त को उसकी कमज़ोरी बनाना चाहता है। वो जानता है कि सामंत खुफिया ख़बर का मुरीद है। विजय सामंत को सोने की एक बड़ी डेलिवरी की सूचना देता है। सामंत परवाने की तरह खींचा चला आता है। गोया उसे विजय की असलियत पर शक ज़रूर होता है। इसलिए वो विजय को अपने पास बंधक रख लेता है, जब तक उसके गुर्गे माल सकुशल उसके गोदाम में पहुंचा नही देते। माल जब पहुँच जाता है तो विजय अपने पाँच लाख रुपये मांगता है। जवाब में सामंत दराज़ से पिस्तौल निकालता है और कहता है - कि अगर वो उसे मार दे तो वो क्या करेगा। विजय अपना संतुलन खोये बगैर - एक पुरानी ईसप की कहानी सुनाते हें।
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कहानी एक किसान की, जिसके पास एक मुर्गी थी। वो मुर्गी रोज़ एक सोने का अंडा देती थी। एक दिन लोभवश किसान उस सोने के अंडे देने वाली मुर्गी का पेट चीर देता है - इस उम्मीद में की उसे सारे अंडे एक साथ मिल जायेंगे। मगर न वो मुर्गी रहती है ना वो रोजाना का एक अंडा। किसान बहुत पछताता है। इस कहानी का सार विजय बहुत खूबसूरती से एक ही जुमले में यूँ पेश करते है -
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सारे अंडे अभी लेंगे या ?
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