फ़िल्म : लागा चुनरी में दाग़
किस सन में रिलीज़ हुयी : 2007
किसने कहा : विभावरी उर्फ़ नताशा (रानी मुखर्जी)
किससे कहा : रोहन (अभिषेक बच्चन)
सम्वाद लेखक : प्रदीप सरकार
ज़्यादातर मैं ये मानता हूँ की सत्तर के दशक में फ़िल्में बेहतर लिखी जाती थी, पर आज के दौर की फ़िल्में तकनीकी कुशलता में कहीं आगे हैं। पर आज कल भी कुछ ऐसे जुमले आते हैं, जिन्हें सुनकर लगता है की लेखन अभी मरा नहीं है। शायद ये जुमला उनमे से एक है। इस जुमले को सुनकर मेरी आंखों में सहसा आंसू उमड़ आए। और पुष्पा के उस मशहूर यार की तरह - मुझे भी आंसुओं से नफरत है। ख़ैर वो कहानी फिर कभी।
विभावरी एक छोटे शहर की लडकी है जो मुंबई रोज़गार की तलाश में आती है। वोह भी इस शहर की चकाचौंध के दलदल में फँस जाती है। यहाँ आकर वो एक ऊंचे समाज में उठने बैठने वाली वेश्या बन जाती है। उसका परिवार इस बात से बिल्कुल अनजान है। उन्हें ये बताया गया है की वो निजी क्षेत्र की कंपनी में एक कारपोरेट कम्युनिकेशन अधिकारी है - जिसको साधारण ज़बान में 'पी आर' भी कहते हैं। घरवाले समझते हैं की उसके पैसे और कामयाबी का स्रोत उसकी नौकरी है। पर जैसा की कालिया फ़िल्म में अमिताभ कहते हैं
दौलत का पेड़ पाप की ज़मीन में ही उगता है
और शायद इसमे कुछ सच्चाई भी है। खैर हमारी नायिका का नया नाम नताशा है। अब ऐसे काम के लिए विभावरी थोडा अटपटा लगता ना। उसके पास एक आलीशान घर है और ऐशो आराम के सभी साधन भी। उसकी छोटी बहन शुभावरी उर्फ़ छुटकी एक सभ्य मध्य वर्गीय परिवार के लडके विवान (कुणाल कपूर) से शादी कर रही है। शादी के समारोह के दौरान विभा को ये पता चलता है की रोहन (अभिषेक) विवान का बड़ा भाई है। दरअसल रोहन से विभा की मुलाक़ात स्विट्जरलैंड जाते वक्त विमान पर हुयी थी और फिर बाद में उनमे काफी दोस्ती हो गयी थी। पर उसे ख़ुद इस बात की अपेक्षा नहीं थी की रोहन शादी का प्रस्ताव रखेगा। वो मना कर देती है। रोहन इस बात से परेशान हो उठता है की उसने ऐसा किया तो क्यों किया। वो पढ़ा लिखा है, संभ्रांत है और सबसे बड़ी बात ये की उन दोनों में अच्छी दोस्ती है। वो विभा से कहता है की इन सब बातों के मद्दे नज़र उसे इतना तो हक बनता है की वो ये जान सके की उसे ठुकराया क्यों जा रहा है। अगर रोहन के अल्फाज़ में कहें तो
"इतनी दोस्ती तो है हम मे कि तुम वजह बता सको"
विभा बेहद गहरे अंदाज़ में उसका यूँ जवाब देती है
"इतनी दोस्ती नहीं है रोहन कि वजह बता सकूं"
अक्सर यूँ होता है की आप के दोस्त आप से आप के किसी फैसले की वजह पूछते हैं। सिर्फ़ इसलिए की वो दोस्त हैं। ऐसे लम्हात में ये जुमला काफी फिट बैठता है।
1 comment:
supurab blog. this is really nice blog. u r good to express urs emotions on blog
visit my blog www.netfandu.blogspot.com
Post a Comment