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Saturday, August 16, 2008

कोई भी फ़ैसला चुनाव से होना चाहिये दबाव से नहीं

फ़िल्म : सरकार
किस सन मे रिलीज़ हुई : 2005
किसने कहा : राशिद (ज़ाकिर हुसैन)
किससे कहा : अपने दल के एक सदस्य से
सम्वाद लेखक : मनीश गुप्ता

राशिद, जो की दुबई का एक डॉन है, वो मुंबई में ड्रगऔर बम आदि बेचना चाहता है। मगर उसके इरादों में हाइल है सुभाष नागरे। सुभाष नागरे मुंबई का खुदा है। पर राशिद को तो अपने काम से मतलब है। वो सुभाष को मारने का प्लान बना लेता है। इस काम में उसके सहयोगी हैं वीरेंद्र स्वामी (जीवा) और विश्राम भगत (राजू मवानी)। पर एक अन्य सहयोगी ये सुनकर बौखला जाते हैं। उसके लिए ये सोचना भी मुमकिन नहीं है, और वो अपनी सोच औरों पे ज़ाहिर करता है। वो इस प्लान का हिस्सा न बनने का इरादा कर लेता है। जैसे ही वो कमरे से बाहर निकलने लगता है, वो राशिद की आँखें देख लेता है। उसकी आँखें देखते ही वो समझ जाता है कि शायद उस कमरे से ज़िंदा निकलना उसे लिए इतना आसान नहीं होगा। अब तक देखने वाले भी ये समझ चुके हैं कि वो एक खून के चश्मदीद होने वाले हैं। और भले ही राम गोपाल वर्मा लाख चाहें की वो लीक से हट कर काम करें, कभी कभी तो वो भी अपेक्षाकृत ही करते हैं। राशिद अपने उसे सहयोगी की तरफ़ जाता है और उसके पेट में खंजर भोंक देता है। जब वो खंजर को अंतडियों में घुमाता है, उसी वक्त वो कैमरा की तरफ़ मुंह करके कहता है

"कोई भी फ़ैसला चुनाव से होना चाहिये दबाव से नहीं"

3 comments:

शोभा said...

बहुत अच्छा लिखा है। स्वागत है आपका।

डा ’मणि said...

सादर अभिवादन
पहले तो हिन्दी ब्लोग्स के नए साथियों में आपका सहृदय स्वागत है
दूसरे आपकी सशक्त रचना के लिए आपको बहुत बधाई

चलिए आज मैंने अपने ब्लॉग पे एक गीत डाला है
परिचय के लिए उसकी कुछ पंक्तियाँ देखिये

और कुछ है भी नहीं देना हमारे हाथ में
दे रहे हैं हम तुम्हें ये "हौसला " सौगात में

हौसला है ये इसे तुम उम्र भर खोना नहीं
है तुम्हें सौगंध आगे से कभी रोना नहीं
मत समझना तुम इसे तौहफा कोई नाचीज है
रात को जो दिन बना दे हौसला वो चीज है

जब अकेलापन सताए ,यार है ये हौसला
जिंदगी की जंग का हथियार है ये हौसला
हौसला ही तो जिताता ,हारते इंसान को
हौसला ही रोकता है दर्द के तूफ़ान को

हौसले से ही लहर पर वार करती कश्तियाँ
हौसले से ही समंदर पार करती कश्तियाँ
हौसले से भर सकोगे जिंदगी में रंग फ़िर
हौसले से जीत लोगे जिंदगी की जंग फ़िर

तुम कभी मायूस मत होना किसी हालात् में
हम चलेंगे ' आखिरी दम तक ' तुम्हारे साथ में

आपकी सक्रीय प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा में
डॉ उदय 'मणि'
http://mainsamayhun.blogspot.com

Sajeev said...

नए चिट्टे की बहुत बहुत बधाई, निरंतर सक्रिय लेखन से हिन्दी चिट्टा जगत को समृद्ध करें
आपका मित्र
सजीव सारथी