फ़िल्म : वक़्त
किस सन में रिलीज़ हुई : 1965
किसने कहा : राजा (राज कुमार)
किससे कहा : चिनॉय सेठ (रहमान)
सम्वाद लेखक : अख़्तर उल ईमान
राजा एक चोर है और उसका बॉस है चिनॉय. राजा को एक लडकी (साधना) से प्यार हो जाता है और वो सुधरना चाहता है. जब वो अपने बॉस से अपनी ये इच्छा ज़ाहिर करता है, तो चिनॉय सेठ को बात नागवार गुज़रती है. वो कहता है
"तो राजा मैं जितनी मुहब्बत करता हूं, उतनी नफ़रत भी कर सकता हूं"
राजा पर इस बात का कोई असर नहीं होता, वो अपने चिर परिचित अन्दाज़ में कहता है
"मुहब्बत और नफ़रत...चिनॉय सेठ, जिनके अपने घर शीशे के हों, वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंका करते"
और काफ़ी देर वो एक वाइन गिलास को सहला रहे थे. ये जुमला बोलते ही उसे मेज़ के कोने पे पटक के तोड देता है. कांच के टूटने की आवाज़ सुनते ही चिनॉय का एक गुर्गा अपना चाकू बाहर निकाल लेता है. पर वो क़िस्सा फिर कभी.
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